Wednesday, May 8th, 2024

सालों से हाईवे किनारे ट्रकों के टायर के पंचर लगा रही है यह महिला, एक साथ खनकती है हाथों में चूड़ियां और हथोड़ा

कहा जाता है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कमजोर होती है लेकिन अब के समय में कोई भी महिलाएं किसी से कम नहीं है। इसी तरह एक ताकतवर महिला के बारे में आज आपको बताएंगे जो की एक पुरुषों की तरह ट्रक मैकनिक का काम करती है।आमतौर पर मैकेनिक वगैरह का काम केवल पुरुष को करते ही देखा गया है।

हम में से किसी ने किसी महिला को मैकेनिक के रूप में आज तक नहीं देखा। लेकिन यह जाने के बाद आप हैरान हो जाएंगे एक महिला भी मैकेनिक के रूप में काम कर सकती है। महिलाएं अब सिर्फ घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए नहीं बल्कि अपने घर के साथ-साथ बाहर के भी जिम्मेदारी संभालने के काबिल हो चुकी है वह हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है चाहे वह शहर में रहने वाली ही महिला हो या फिर गांव में रहने वाले ही महिला।

पहली महिला मैकेनिक की जीवनी

शांति देवी 55 वर्षीय भारत की पहली महिला मैकेनिक है जो पल भर में ही खराब ट्रक को रिपेयरिंग कर देती है। ट्रक के बड़े-बड़े टायरों को बदलना उनके लिए चुटकी भर का काम है। दिल्ली के बाहरी इलाके में नेशनल हाईवे 4 पर संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर में शांति देवी एक मैकेनिक सेंटर पर काम करती है।

आपको बता दे यहां रोज तकरीबन 4000 ट्रक रिपेयरिंग के लिए आते हैं। जिस वजह से तकरीबन 80 हजार से भी अधिक व्यक्ति को यहां पर रोजगार का सुनहरा अवसर मिला। शांति देवी को भी इसी तरह अवसर मिला था। शांति देवी ट्रक रिपेयरिंग की दुकान में वह सारे काम करती है जो कोई भी पुरुष ट्रक मैकेनिक का काम करता है। इसलिए इन्हें देश की पहली महिला ट्रक मैकेनिक कहा जाता है।

एक्सपर्ट ट्रक मैकेनिक शांति देवी

शांति देवी भारी-भरकम ट्रकों के टायर को चंद मिनटों में बदलकर उसे चमकदार बना देती है। उनके रिपेयरिंग शॉप के बाहर ट्रकों की कतार लगी रहती है। जो भी ट्रक वहां रिपेयरिंग के लिए आता है उस तरफ के मालिक की यही इच्छा होती है कि उसके ट्रक रिपेयरिंग शांति या फिर उनका पति राम बहादुर ही उसकी सर्विसिंग करें।

केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने भी अपने एक ट्वीट के जरिए यह कहा था कि हम सब सुनते हैं कि “महिलाओं को कौन-कौन से काम करने चाहिए। लेकिन 55 साल की शांति देवी ने उन सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। शांति देवी एक महीना मैकेनिक ग्रुप में काम करके मतभेद को खत्म किया है और एक साहसी महिला का परिचय दिया है”।

 

क्यों बनी शांति एक महिला ट्रक मैकेनिक ?

शांति देवी ग्वालियर की रहने वाली है उनके 8 बच्चे हैं। पिछले 30 सालों से वह अपना और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए अपने पति के साथ बीड़ी बनाने का काम करती थी। जितना भी पैसे वह कमाती थी वह सब उनका पति शराब पीकर उड़ा देता था। जिस वजह से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। वह काम की तलाश में अपने परिवार के साथ 45 साल पहले दिल्ली आई। शराब पीने की वजह से शांति देवी के पति का देहांत हो गया। इसी दौरान उनकी मुलाकात रामबहादुर के साथ हुई और उससे उनकी दूसरी शादी हुई।

दोनों ने मिलकर हाईवे पर एक चाय की टपरी खोली। उस चाय की टपरी से उनकी आमदनी बहुत ही कम होती थी जिस वजह से ज्यादा कमाई करने के लिए उन्होंने इस काम को सिखा।दिल्ली की उत्तरी सीमा से लगभग 16 किलोमीटर दूर मैकेनिको से भरा एक विशाल गैरेज था  जिसमे काम करने के लिए मैकेनिक की आवश्यकता थी जिसे देखते हुए वहा एक मिस्त्री को रख लिया गया। उसी मिस्त्री को देखते हुए शांति देवी और उनके पति ने टायर बदलना, पंक्चर बनाना और रिपेयरिंग करना सीखा।

अपने पति के साथ शांती देवी ने इस काम को करने का फैसला लिया। बहुत हिम्मत के साथ उन दोनों ने इस काम की शुरुआत की।शुरु-शुरु में तो ट्रक ड्राइवर उनसे कह देते थे उनकी ट्रक को कोई महिला हाथ ना लगाएं लेकिन उनके बात खत्म होने से पहले ही शांति देवी उनके ट्रक को रिपेयरिंग कर उनका मुंह बंद करा देती थी।

एक टीम की तरह काम करती है

शांति देवी का कहना है कि वह अपने पति के साथ एक टीम की तरह काम करती है। शांति देवी पिछले 20 साल से भी अधिक अपने पति के साथ ट्रक ठीक करने का काम कर रही हैं। उनके पति राम बहादुर को शांति देवी पर बहुत गर्व होता है वह कहते हैं कि “आज पत्नी की कमाई की वजह से ही उनके पास घर है और बच्चे पढ़ लिख लिये है और उनकी शादी भी हो चुकी है”।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *