अगर मन में ठान लिया जाए कि अपने काबिलियत से कुछ कर दिखाना है तो उसे करने से कोई भी नहीं रोक सकता चाहे वह एक बड़ा बिजनेस ही खड़ा करना हो। ऐसे ही एक युवती गीता सिंह जिन्होंने अपनी काबिलियत और तजुर्बे पर भरोसा करके एक बड़ा बिजनेस का व्यापार खड़ा कर दिया और दूसरों के लिए एक उदाहरण बन गए।आइए जानते हैं की चुनौती पूर्ण कहानी जिसमें एक छोटे से गांव से निकलकर देश की राजधानी में अपनी कंपनी खड़ी कर दी।
गीता सिंह का पूरा परिचय
गीता सिंह उत्तराखंड के हेतु बहुत से छोटे से गांव से ताल्लुक रखती है उनका गांव कितना छोटा था कि वहां केवल 50 लोग ही निवास करते थे कुछ समय बाद गीता सिंह और उनका परिवार उत्तर प्रदेश के छोटे शहर मेरठ चला गया वहीं पर गीता का पालन पाषण हुआ। अपने जीवन के शुरुआती 4 साल गीता ने उत्तराखंड के एक गांव में बिताए थे क्या गांव छोटे से शहर बागेश्वर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर खुल्ला कब कोर्ट गांव था 50 लोगों की आबादी वाले गांव में लोग पशुपालन और श्रीधार खेतों पर खेती करते थे मोहन जीवन जीना आसान नहीं था।
अपनी स्कूल की पढ़ाई समाप्त होने के बाद आदि के पढ़ाई के लिए गीता दिल्ली चली गई वहां उन्होंने दैनिक जागरण और जीटीवी सहित विभिन्न मीडिया संस्थानों में इंटर्नशिप करते हुए राजनीति विज्ञान और उसमें स्नातक की डिग्री के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया फिर और अच्छे अंक से पास हुई। उसके बाद मीडिया में उन्होंने अपना करियर शुरू करने का फैसला लिया केवल 25 साल की उम्र में अपना खुद का बिजनेस खड़ा कर दिया।
एक महिला कर्मचारी से कंपनी की शुरुआत की
गीता ने साल 2012 में अपने घर से केवल 50000 लेकर दिल्ली में पीआर और संचार form.io को इन कम्युनिकेशन की शुरुआत की उस समय उनके पास केवल एक महिला कर्मचारी थी उस महिला कर्मचारी को गीता 13000 रूपए सैलरी देती थी। उस महिला कर्मचारी को गीता अपनें घर के ही ऑफिस में काम करने के लिए रखी थी।साथ में उसे खुद का लैपटॉप भी लाने को बोलती थी।
7 करोड़ रुपए टर्नओवर की कंपनी
अपने अच्छे व्यवहार और काम के वजह यह गीता का काम बहुत जल्दी लोगों ने पसंद क्या की मौखिक और ऑनलाइन मार्केटिंग भी बहुत अच्छी हुई जिस वजह से उन्हें कई बड़े ग्राहक भी मिले उनकी पीआर एजेंसी आज लगभग 7 करोड रुपए के दनकौर की कंपनी बन गई है दिल्ली के जसोला में 22 वर्ग फुट के ऑफिस में लगभग आज 50 कर्मचारी काम कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार गीता ने अपनी पहली डी मोबाइल इंडिया में कीजिए जो एक डिजिटल गैजेट्स वेब पोर्टल था तूने अपनी वेबसाइट के लिए कंटेंट और अंग्रेजी हिंदी राइटिंग के अनुवाद की जरूरत थी अपने पिता से भी गीता को कोई शुरुआती मदद नहीं मिली थी दरअसल उनके पिता एक साधारण सरकारी कर्मचारी थी।
पिता चाहते थे सरकारी नौकरी
दरअसल जब गीता ने अपनी खुद की कंपनी के शुरुआत करने का मन बनाया तब उन्होंने अपने पापा से ₹10000 मांगे लेकिन पिता ने पैसे देने से साफ मना कर दिया उन्होंने कहा हमारे परिवार में कभी भी किसी ने बिजनेस नहीं किया अपने गांव के सरकारी नौकरी पाने वाले वह पहले व्यक्ति थे इसलिए वह भी चाहते थे कि गीता भी सरकारी नौकरी करें परंतु गीता ने अपना फैसला सुना दिया था कि वह बिजनेस ही करेंगे।
पिता के पिता का नाम मानसिंह है जो एक लोअर डिवीजन क्लर्क के रूप में सरकारी नौकरी करते थे गीता यह बात बखूबी जानती थी कि उनके पिता ने बच्चों को बहुत मानते हैं इसलिए उनके लिए अच्छा और एक सिक्स नौकरी का जीवन चाहते हैं।
कई एजेंसियों में किया काम
सबसे पहले गीता बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री डिपार्टमेंट चैनल भी जीवा आयुर्वेदिक कि संचार पीआर एजेंसियों और विज्ञापन एजेंसियों में काम किया था इतना ही नहीं उन्होंने वीडियो एडिटर के तौर पर फ्री डांसिंग भी काम किया जिसके लिए उन्हें ₹2000 हर घंटे के हिसाब से मिलते थे कुछ लोगों काम वह फ्री में भी कर दिया करते थे जिसका उन्हें यह फायदा हुआ कि उन्हीं लोगों ने कुछ और लोगों से संपर्क करवाया जिससे उन्हें बड़े काम हासिल हुए
द येलो कॉइन कम्युनिकेशन की शुरुआत
गीता ने साल 2012 में अपनी फर्म द येलो कॉइन कम्युनिकेशन की न्यू दिल्ली इसके बाद कई सारे छोटे प्रोजेक्ट में काम करने के बाद उन्हें मोबाइल इंडिया का काम मिला और फिर चेतन भगत के नौवें नोबेल रिवॉल्यूशन 2020 के मार्केटिंग का भी काम उन्हें प्राप्त हुआ। गीता वसीम अच्छा होने पर साल 2014 मैं दो लो कॉइन कम्युनिकेशन एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई उसी साल उन्हें पतंजलि का भी काम मिल गया साल 2015 में जीता की कंपनी का टर्नओवर ₹10000000 तक पहुंच गया गीता किस काम में उनके पति सौरभ भी उनको काफी सपोर्ट करते हैं जो कि एक सुप्रीम कोर्ट वकील है नियम से जागरण इंस्टीट्यूट में मिली थी जहां वह लो डिग्री की पढ़ाई किया करते थे