Wednesday, May 15th, 2024

माँ के गुजर जाने के बाद हिरण के बच्चे को 9 महीने तक अपने बच्चे की तरह पाला, फिर भंडारा करा के कर दिया विदा

भारत संस्कृति और सभ्यता का देश है जहां भावना और प्रेम से बढ़कर कुछ नहीं होता यहां लोग पशु पक्षी को अपने बच्चे की तरह पालते हैं भारत में पशुपालन व्यवसाय और पशु सेवा के लिए भी करते है जैसे गाय को घर में पालना क्योंकि हिंदू मान्यता गाए हुए 36 कोटी के देवी देवताओं का वास और चारों धाम होता है गाय के दूध से लोग व्यापार में करते हैं घर में पालतू जानवरों को लोग एक नाम से पुकारते हैं।

भारत में आपको बहुत सारे पशु प्रेमी मिलेंगे जो रास्ते में घर पर है जानवरों को रेस्क्यू करके उनका ट्रीटमेंट करा कर उन का भरण पोषण करते हैं वह लोग जानवरों का ट्रीटमेंट या उनकी मदद किसी धन दौलत के लिए नहीं सुकून के लिए करते हैं ऐसे ही राजस्थान के एक कहानी आपको बताएंगे जिन्होंने एक हिरण के बच्चे को अपने बच्चे की तरह पाला।

 

हिरण के छोटे बच्चे का बने सहारा

राजस्थान के जैसलमेर जिले के धोलिया गांव के निवासी शिव सुभाग अपने परिवार के साथ सालों से रह रहे हैं। शिव सुभाग और उनके परिवार ने एक ऐसी मिसाल पेश की है। जिसमें उनके इंसानियत और परोपकार देखने को मिल रही है। लगभग 9 महीने पहले सनावड़ा गांव के पास एक हिरण ने एक बच्चे को जन्म दिया था और जन्म के 15 उनके भीतर ही उस हिरण की मूर्ति हो गई।

जिससे उसका बच्चा अनाथ और बेसहारा हो गया इस बात का पता शिव सुराग को चला तो वह तुरंत उस जगह पहुंचे जहां हिरण और उसका बच्चा था। उन्होंने माता हिरण को जमीन में दफन किया और हिरण के बच्चे को अपने साथ घर ले आए। शिव सुभाग का पूरा परिवार उस हिरण के बच्चे की देखभाल करने लगे।

हिरण के बच्चे को भेजा रेस्क्यू सेंटर

शिव और उनके परिवार वाले ने हिरण के बच्चे का भविष्य और अपने अनुकूल वातावरण में रहने के लिए उस बच्चे को रेस्क्यू सेंटर भेजने का फैसला किया जिससे उसे जंगल का परिवेश मिले। जब उन लोगों ने हिरण के बच्चे को रेस्क्यू सेंटर भेजने का फैसला किया तो उन्होंने उस हिरण के बच्चे के लिए खुशियां और उसके  बेहतर जीवन की प्रार्थना करते हुए उसे विदा किया।

हिरण के बच्चे को विदा करने से पहले शिव और उनके परिवार ने अपने घर में रात्रि जागरण का प्रोग्राम बनाया और लोगों के बीच भंडारा कराया। जानकारी के लिए आपको बता दें और हिरण के बच्चे को जोधपुर के लोहावट स्थित रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है जहां वह अपने तरीके से अपना जीवन व्यतीत कर सकें शिव और उनके परिवार वालों का यह कदम काफी लोगों के लिए प्रेरणा है जो पशुओं को पसंद नहीं करते और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।

 

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