Friday, May 10th, 2024

16 फ्रैंकचर और 8 सर्जरी को मात देकर पहले ही प्रयास में बनी IAS OFFICER, झुग्गी झोपड़ी में पली- बढ़ी!

“राहों में मुसीबत आई पर मैंने हार नहीं मानी, मंजिल पर पहुंचकर लिखूंगी अपनी सफलता की कहानी”। यह तो कविता की कुछ पंक्तियां है पर इसे सच किया है राजस्थान के रहने वाली आईएएस ऑफिसर उम्मूल खैर (IAS officer Ummul khair) ने। झुग्गी में रहकर गरीबी झेला इतना ही नहीं 16 फ्रैक्चर और सर्जरी के बावजूद नहीं मानी हार। सारे मुसीबतों को पार कर आज अपनी मेहनत के दम पर ias बन कर कर रही है देश की सेवा।

झुग्गी झोपड़ी में बीता बचपन

राजस्थान के पाली मारवाड़ के एक गरीब परिवार में उम्मूल खैर का जन्म हुआ था। बचपन में ही उनके पिता सभी परिवार के साथ दिल्ली चले आए थे। जहां उन्हें बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। उनका पूरा परिवार दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में एक झुग्गी झोपड़ी में रहता था।उनके पिता फेरी लगाकर कपड़े बेचकर बड़ी मुश्किल से पूरे परिवार का भरण पोषण करते थे।जैसे तैसे उन लोगों का गुजर बसर चल रहा था परंतु एक दिन परिवार पर बहुत बड़ी संकट आ गया। दरअसल सरकारी आदेश के तहत निजामुद्दीन इलाके की झुगियों को उजाड़ दिया गया था। जिसके बाद साल 2001 में त्रिलोकपुर की झुग्गियो में पूरा परिवार आकर एक किराए की मकान में रहने लगें।

उम्मूल बचपन से ही इस डिसऑर्डर से पीड़ित थी

बचपन से ही उम्मूल खैर बोन फ्रेजाइल डिसऑर्डर से ग्रसित थी। इस बीमारी में हड्डियां कमजोर होने से टूट जाती है वजह से उनको कुल 16 फ्रैक्चर हुए और 8 बार सर्जरी हुई इतना सब कुछ झेलने के बावजूद उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी और अपने हौसलों को बनाए रखा।

बचपन से ही पढ़ने में होनहार थी

अमूल बचपन से ही पढ़ने में होनहार थे उनके अंदर पढ़ लिखकर कुछ बनने का जज्बा था मगर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए ट्यूशन पढ़ाने लगी ट्यूशन से मिलने वाली फीस से वह अपनी पढ़ाई के खर्च उठाती थी। अपने मेहनत के दम पर उन्होंने पढ़ाई पूरी की हाई स्कूल में 91वे प्रतिशत और इंटरमीडिएट में 89 प्रतिशत के साथ पास हुई। इसके बाद उन्होंने ड्यू से स्नातक की डिग्री हासिल की उसके बाद उन्होंने जेएनयू के इंटरनेशनल स्कूल से परास्नातक की डिग्री हासिल की। फिर उन्होंने पीएचडी में एडमिशन लिया और यूपीएससी की तैयारी भी शुरू कर दी।

पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा क्रैक की

सारे मुसीबतों को झेलते हुए उम्मूल ने यूपीएससी की तैयारी की और अपने मेहनत के दम पर साल 2017 में पहले प्रयास में ही इतनी सी की परीक्षा को ग्रेट किया यूपीएससी में उन्होंने 420 वी रैंक हासिल की थी आज उनके संघर्ष की कहानी करोड़ों युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक साबित हुई है।

 

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