Tuesday, May 14th, 2024

पिता चलाते थे रिक्शा, फीस भरने के लिए खुद किया वेटर का काम, केवल 21 साल की उम्र में बना IAS अधिकारी

ऐसा माना गया है की अगर किसी व्यक्ति का इराद मजबूत हों तो वो कोई भी मजिल आसानी से प्राप्त कर सकता हैं और किसी प्रकार की कठिनाई ही क्यों न आजाये उसके रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती। इसे बात को सच कर दिया है अंसार शेख ने। पढाई में लगन और जीवन सुधारने की इच्छा ने अंसार शेख को वह शोहरत हासिल कराई जिसकी कल्पना भारत के अधिकांश युवा करते रहते हैं। जिंदगी की जंग में हराते हुए आजीत हासिल करते हुए अंसार शेख बन गए आईएएस अफसर ।

21 साल की उम्र में बना आईएएस एक रिक्शा वाले का बेटा

हमने बहुत से आईएएस अधिकारियों की सफलता की कहानी आपको सुनाई है जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। परन्तु आज की यह कहानी उन लोगो के लिए प्रेरित करिगी जो गरीबी का रोना रोकर जिंदगी की जंग से हार मान लेते है। अगर आपको अंसार की जिंदगी के बारे में पता चलेगा तो अपनी तकलीफे भी छोटी लगने लगेगी। अंसार ने वो जिंदगी जी है जिसमे गरीबी है, भूख है, हर तरह की कमी है और साथ है तो हर हालात में पढ़ाई करने का जज्बा।

अपने जोश के दम पर आईएएस ऑफिसर बनने का जुनून उनके अंदर था जिसने उन्हें जीत का स्वाद चखाया। अंसार अहमद शेख ने मात्र 21 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा में 371वीं रैंकप्राप्त किया, और IAS अफसर बन कर दिखा दिया। अगर बात करे उनकी जीवन काल की तो अंसार महाराष्ट्र के जालना जिले के एक छोटे से गांव में रहते थे।

उनके पिता ऑटो रिक्शा चला कर और उनकी मां खेतों में मजदूरी कर के अपना घर चलते थे। अंसार के परिवार में पैसे की इतनी कमी थी की एक बार वे अपने पढाई छोड़ने का भी निर्णय ले लिए थे। रिस्तेदारो और जान पहचान वाले भी ताना कस्ते थे कि या तो कमा ही लो या फिर पढाई ही कर लो। अंसार कहते है की रिश्तेदारों और उनके पिता ने एक बार उनसे पढ़ाई छोड़ने की बात भी काफी थी।

12वीं में प्राप्त किये 91 प्रतिशत नंबर

दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, अंसार शेख (Ansar Ahmad Shaikh) ने बताया, ‘अब्बा ने पढ़ाई छोड़ने को कहा था और इसके लिए वह मेरे स्कूल भी गए थे, क्यूंकि उनके पिता को किसी ने सलाह दी कि इसकी पढ़ाई बंद कराओ और काम पर लगाओ तो कुछ पैसे कमा के घर लाएगा। वैसे भी पढ़ के कौन सा नौकरी मिल जायेगी।

अंसार के पिता उनके बातो में आगये और पहुंच गये उनके स्कूल ताकि वे अंसार की पढ़ाई छुड़ाव दे। परन्तु अंसार के शिक्षक ने उन्हें समझाया और बताया कि वे पढ़ाई में बहुत अच्छे है। इसके बाद किसी तरह दसवीं की। इसके बाद जब उन्होंने 12वीं में 91 प्रतिशत नंबर हासिल किया तब घरवालों ने फिर कभी पढ़ाई के लिए नहीं रोका।

फीस भरने के लिए की बैठे की नौकरी

अंसार ने ये भी बताया था, ‘पापा की रोज की कमाई सिर्फ सौ से डेढ़ सौ रुपये ही थी, इतने काम रूपए में उनके पूरे परिवार का खर्च चलाना काफी कठिन होता था. पैसे की किल्लत की वजह से उनके पिता पढ़ाई के लिए पैसे नहीं दे पाते थे। 12वीं पास करने के बाद अंसार अहमद शेख (Ansar Ahmad Shaikh) ने पुणे के जाने माने फर्गुसन कॉलेज में दाखिला तो ले लिया लेकिन उनके पास आगे की फीस भरने के पैसे भी नहीं थे।

इन सब हालात में उनके छोटे भाई मदद करने को आये।अंसार ने भी खुद की फीस भरने के लिये पास के ही एक होटल में वेटर का काम करना शुरू कर दिया जहां उन्हें तीन हजार रुपये हर महीने की सैलरी पर ररख लिया गया। इस होटल में अंसार पूरी लगन के साथ अपने छमत से दोगुना काम करते थे, टेबल पोछने और रात में होटल का फर्श साफ करने तक का काम किया। पर उन्हें इस बात की खुसी थी की वे अपना फीस भर पा रहे है ।

अपने पहले ही एटेम्पट में अंसार बने सबसे युवा IAS अफसर

जब अंसर अपने कॉलेज के फर्स्ट ईयर में ही थे तब उनके प्रोफेसर ने उन्हें UPSC सिविल सेवा की तैयारी करने का सुझाव दिया। इस सलाह को मानते हुए अंसार ने ग्रेजुएशन करने के साथ ही UPSC की कोचिंग लेने का निर्णय लिया। अंत में अंसार अहमद शेख (Ansar Ahmad Shaikh) ने इतनी कड़ी मेहनत और संघर्ष किया की सामने तकलीफ़ ने भी घुटने तक लिए और साल 2015 में अपने पहले प्रयास में ही UPSC की परीक्षा पास कर ली।

अंसार ने पुरे भारत में 371वीं रैंक प्राप्त किया और आईएएस के लिए चुन लिए गए। अंसार हर उस युवा के लिए एक आदर्श हैं जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं या, वे पिछड़े समाज और अपने धर्म और जाति को एक कठिनाई के रूप में देखते हैं। अंसर ने ना सिर्फ अपना जीवन सफल कर लिया बल्कि अपने परिवार का भी नाम उचा कर दिया. साथ ही उनके रिश्तेदारों के मुँह पर भी टाला लगा दिया जो चाहते थे की अंसार पढाई छोड़ के नौकरी करे.

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