Thursday, May 9th, 2024

CA की नौकरी को छोड़ नए अनोखे अंदाज से करते है खेती, सालाना कमाई 50 लाख से भी अधिक

आप सभी जानते हैं की खेती हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण और फायदेमंद होता है।  हमारे देश के जितने भी किसान है वह हर तरीके से खेती करने में लगे हुए हैं, वह हर वर्ष कई प्रकार के फसल उगाते रहते हैं।

 खेती करना अब के लोगों का एक हुनर और शौक भी हो गया है। खेती करने के लिए हमें बहुत सारे उर्वरकों का उपयोग करना पड़ता है , जैसे केचुआ,कचरा, वर्मीकंपोस्ट, खाद, गोबर इन उर्वरक के द्वारा हम सब्जी एवं फल उगाते हैं, जो हमारे सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।

इसी तरह एक ऐसे शख्स के बारे में आज आपको बताने जा रहे हैं जो CA  की नौकरी को छोड़ बिल्कुल नए अंदाज में खेती करके लाखों कमा रहे हैं।

राजीव बिट्टू का परिचय

राजीव जी बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं। राजीव जी एक संयुक्त परिवार से हैं जिसमें वह अपने बहनों और भाइयों के साथ रहते हैं।

अपने भाइयों और बहनों में राजीव सबसे बड़े हैं, इनके पिता बिहार सरकार के द्वारा निर्मित सिंचाई विभाग में इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। राजीव ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत बिहार में ही की थी, उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह झारखंड चले गए।

वहाँ जाकर वह हजारीबाग के एक सरकारी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते थे, वहां उनकी संपन्न तरीके से पढ़ाई ना होने के कारण वह वहां से रांची चले गए और वहां जाकर के अपनी पढ़ाई शुरू की।

उन्होंने आईआईटी की भी तैयारी की जिसमें वह असफल रहे, इसके बाद उन्होंने बीकॉम में अपना दाखिला लिया और उसी साल CA के लिए भी एनरोलमेंट कराया। राजीव जी किसानों के लिए एक NGO चलाते हैं , जिसका नाम “अंकुर रूरल एंड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसाइटी” है।

2009 में राजीव बिट्टू जी कि शादी रश्मि सहाय नाम कि लड़की से हुई जो कि एक “प्लास्टिक इंजीनियर” है।

राजेश बिट्टू की CA की परीक्षा

साल 2003 में उन्होंने सीए की परीक्षा पास की थी। CA की तैयारी के लिए उन्होंने किराए पर एक कमरा लिया था, जिसका मासिक किराया 5000 था, वह उसी कमरे में रहकर प्रैक्टिस करते थे। उस वक्त उनका मासिक वेतन 40 हजार के लगभग था।

राजीव बिट्टू की खेती की शुरुआत

राजीव बिट्टू ने झारखंड की राजधानी रांची में स्थित एक ब्लॉक ओरमांझी (Ormanjhi) में लीज पर अपनी खेती की शुरुआत की।

इन्होंने अपने कॉमर्स के डिग्री हासिल करने के बाद चार्टर्ड अकाउंट तो बने लेकिन यह अपना पूरा फोकस खेती में करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने खेती को ही अपना करियर चुना।

लोगों के मन में किसानों के अहमियत को दिखान के लिए उन्होंने अपनी CA  कि नौकरी को छोड़ कर खेती की शुरुआत की इनका मानना था कि आज हम लोग जो भी अनाज खाते हैं उसमें किसानों की ही मेहनत है।

किसान गर्मी, ठंडी ,बरसात मैं भी हमारे लिए फल, फूल, सब्जी और अनाज उगाते हैं, उनकी इसी अहमियत को समझने के लिए उन्होंने खेती की शुरुआत की।

उनके मन मे यह विचार तब आया जब साल 2013 में वह अपनी बेटी को लेकर बिहार के गोपालगंज जिले अपने गाँव आ गए। उनकी बेटी जब अपने गाँव आई तो वहाँ के लोगो के साथ घुल मिल गई और उन्हे पसंद भी करने लगी पर एक घटना ने उनको चोंका दिया।

जब उनकी बेटी ने एक किसान के गोद में जाने से मना कर दिया। इसी घटना के बाद से उन्होंने खेती करने का सुझाव अपने मन में लाया।

लीज के जमीन पर खेती की शुरुआत

यदि की शुरुआत के लिए उन्हें हर एक छोटी छोटी जानकारियां रहनी जरूरी थी इसके लिए उन्होंने हर एक तरह से जानकारियां इकट्ठे की कृषि विभाग में जाकर वहां के शिक्षकों से मिलकर उनसे सलाह मांगी और उनसे तरीका भी पूछा कि किस तरह से कौन सी खेती करनी चाहिए।

अगल बगल के किसानों से भी उन्होंने जानकारी हासिल की जानकारी खट्टा होने के बाद उन्होंने खेती करने के लिए एक बेहतर जमीन की तलाश शुरू की खेती के लिए उनके पास जमीन नहीं थी।

फिर उन्होंने यह तय किया कि वह रांची से 28 किलोमीटर दूर एक गांव में किसान से उनकी जमीन लीज पर लेंगे और उसमें खेती करेंगे।

इसके बाद सारी कार्यवाही पूरी करने के बाद सभी शर्तों और नियम के दौरान किसान ने अपनी 10 एकड़ जमीन राजीव को दे दी और खेती से हुए 33 फ़ीसदी लाभ का भागीदारी राजीव ने उस किसान को दिया।

खेती करने का जैविक तरीका

राजीव ने खेती करने के लिए जैविक तरीका अपनाया जो भी तरीके से खेती करने के लिए लगभग ढाई लाख रुपए उन्होंने खर्च किया और जैविक उर्वरकों का उपयोग कर लगभग 7 एकड़ में खरबूज और तरबूज के फल उगाए।

उनके परिश्रम के फल स्वरुप उनकी फसलों की 19 लाख रुपए की बिक्री हुई 19 लाख में से उन्हें लगभग सात आठ नौ लाख का मुनाफा हुआ।

इससे उनका मनोबल और बड़ा और खेती करने के लिए अलग-अलग तरीके को ढूंढने लगे। उनके इस सफलता और मुनाफे के बाद उन्होंने लगभग 45 मजदूर को अपने खेतों में काम करने के लिए रखा।

राजीव जी का लक्ष्य है एक करोड़ टर्नओवर का इसके लिए उन्होंने लीज पर जमीन लेकर खेती की शुरुआत की, तकरीबन 13 एकड़ जमीन उन्होंने लीज पर ली।

अपनी मेहनत के दम पर  उन्होंने 2016 में 40- 50 लाख का मुनाफाा लिया। राजीव जी को जैसे-जैसे खेती के इस व्यवसाय में मुनाफा होने लगा उन्होंने कूचू नाम के गांव में 3 एकड़ जमीन लीज पर फिर से ले ली और उसमे सब्जियां उगाने लगे।

फिर धीरे-धीरे  उनका सालाना टर्नओवर एक करोड़ का हो गया। उन्हें अक्सर इस बात की चिंता रहती थी कि अगर जमीन सूखाग्रस्त हो गया या फिर बाढ़ का पानी आया तो उन्हें दोनों स्थिति में बहुत ज्यादा ही घाटा सहना होगा।

खेती में दोस्तों की मदद

राजीव के दोस्त भी खेती में उनकी मदद करते हैं उनके दो दोस्त हैं देवराज(37 वर्षीय) और शिव कुमार(33 वर्षीय)।

 

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