Monday, May 20th, 2024

4 भाइयों ने पैसे उधार लेकर शुरू किया HERO CYCLES का बिज़नेस, आज बन गई दुनिआ की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी

भारत मे आजकल के बच्चें अपने मनोरंजन के लिए मोबाइल गेम्स  ,वीडियो गेम्स में ही व्यस्त रहते हैं। इसी कारण वो फील्ड में खेलने से दूर भागते हैं. मोबाइल और वीडियो गेम्स के आने से पहले बच्चें अपने भाइयों के साथ साइकिल पे घुमा करते थे ओर मस्ती करते थे। आपको मालूम होगा कि पहले जब बच्चें का जन्मदिन या फिर वो अच्छे नम्बरो से पास होता है. तो उसे गिफ्ट में साइकिल दी जाती थी। उस समय सबकी पसंदीदा साइकिल केवल हीरो साइकिल थी ,लेकिन आज के समय भी हीरो साइकिल अपने में एक ब्रांड बनी हुई है।

एक समय की बात है जब एक बार हीरो साइकिल में हड़ताल हो गयी थी. इसी वजह से साइकिल बनाने का काम पूरा बन्द हो चुका था. उस समय हीरो कंपनी के मालिक खुद साइकिल बनाने का काम करने लगे थे। इसी को देखते हुए कम्पनी के वर्करों ने काम करने से मना किया तो,मालिक का जवाब आया कि ‘आप लोग चाहें तो घर जा सकते हैं,और मेरे पास साइकिल के आर्डर काफी ज्यादा है मैं काम करता रहूँगा।

बता दे कि मालिक के मन मे एक बात थी कि हम उस बच्चें को जन्मदिन पर मिलने वाले गिफ्ट साइकिल के लिए हम उसे कैसे समझाएंगे। हीरो साइकिल के मालिक ओपी मुंजाल ने कहा कि हम ये चाहते है हमारी कम्पनी की इस हड़ताल की वजह से बच्चों को दुखी न होना पड़े। हीरो साइकिल कंपनी का सफर पाकिस्तान के कमलिया से शुरू हुआ था।

इसी जगह के रहने वाले बहादुर चंद मुंजाल और ठाकुर देवी के घर में जन्म हुआ था। इनके चारों बेटों ने देश को हीरो साइकिल दी. यह चार बेटे सत्यानन्द,ओमप्रकाश,ब्रजमोहन और दयानन्द मुंजाल अपने पिता बहादुर चंद मुंजाल की राशन की दुकान चलाते थे और अपने घर का खाना खर्चा चलाते थे।

50 हजार का लोन लेकर सुरु की कंपनी

इन सब का परिवार ठीक ढंग से चल रहा था. लेकिन तभी भारत को दो भागों में बाटा जा रहा था। पाकिस्तान में रह रहे हिंदू और सिख को भारत जाना पड़ रहा था। बता दे कि देश के बंटवारे के बाद चारों मुंजाल भाई पंजाब,लुधियाना आ गए। और यहाँ आने पर सबसे बड़ी समस्या ये हुई कि यहाँ रोजगार नही मिलने की वजह से ये चारों भाई साइकिल के पार्ट्स बेचने का काम किया करते थे।

इसी को देखते हुए इन चारों भाई ने साइकिल के पार्ट्स बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद इन चारों भाइयो ने बैंक से 1956 में 50 हजार का लोन लिया और अपनी खुद की साइकिल पार्ट्स बनाने की यूनिट लुधियाना शुरू की है।

हीरो साइकिल भारत मे सभी को पसन्द आने लगी थी. इसी के बाद इन चारों ने भी  सोचा कि क्यों न हम ही साइकिल बनाने का काम करे और साइकिल को मार्किट में बेचे। मुंजाल भाइयो ने साल 1966 आते-आते एक लाख साइकिल बना ली थी। देश के लोगों को भी हीरो साइकिल काफी पसन्द आने लगी थी।

हीरो साइकिल कंपनी धीरे-धीरे आगे बढ़ती गयी और साल 1986 में 22 लाख साइकिल बना ली। अब हीरो साइकिल कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी थी. आपको जानकर हैरानी होगी की साल 1980 में हीरो साइकिल हर दिन 19 हजार साइकिल बनाने लगी थी।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में है नाम

हीरो कम्पनी के इस काम को देखते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी में दर्ज कर लिया गया था। इस कामयाबी के पीछे मुंजाल भाइयों की ही मेहनत का हाथ है.आपको बता दे कि 2004 में ब्रिटेन ने सुपर ब्रांड में दर्ज कर दिया था। हीरो साइकिल कम्पनी ने 14 करोड़ साइकिल का निर्माण करने वाली भारत की सबसे बड़ी कम्पनी बन गयी है। आज हीरो कम्पनी के 7500 से अधिक आउटलेट्स है,और 30 हजार से ज्यादा वर्कर भी काम कर रहे है।

ऐसे ही हीरो साइकिल कम्पनी आगे बढ़ती गयी और हीरो मैजेस्टिक के नाम से टू विहिलर बनाने का काम शुरू कर दिया इसके बाद कंपनी ने फेमस दो पहिया वाहन हौंडा कम्पनी के साथ करार करते हुए,हीरो होंडा मोटर्स लिमिटेड की स्थापना कर दी। हीरो हौंडा कम्पनी ने 13 अप्रेल 1985 में अपनी एक टू विहिलर CD100 लॉन्च कर दी थी। इसके बाद 2015 को ओमप्रकाश मुंजाल 1 नवम्बर 2015 को ब्रजमोहन लाल और इनके दोनों भाई देश को अलविदा कह गए। और अब कंपनी को पंकज मुंजाल संभाल रहे हैं।

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