किसी ना किसी इंसान के अंदर एक न एक हुनर जरूर होता है चाहे वह पढ़ा लिखा हो या फिर अनपढ़ हो अपने हुनर के जरिए देश में अपना नाम रोशन कर सकता है। इसी तरह बिहार के मधेपुरा के एक साइंस टीचर ने एक ऐसा कमाल कर दिखाया जिसके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी। हम बात कर रहे हैं मधेपुरा के साइंस के पूर्व टीचर किशोर सिंह की। जिन्होंने एक कबाड़ बाइक को E- Bike में तब्दील कर दिया आइए जानते हैं उनके इस बाइक को मॉडिफाई करने की पूरी जानकारी।
3 हजार के बाइक में 40 हजार का खर्च
दरअसल पूर्व टीचर किशोर सिंह ने कबाड़ से ₹3000 का एक यामहा बाइक खरीद लिया और हाउस में तकरीबन ₹40000 खर्च कर दी बाइक में मॉडिफाई कर दिया। इस ई बाइक को बनाने के लिए किशोर सिंह ने बड़ी मेहनत की जिसके बाद बैटरी से चलने वाली है एक बाइक बन गई । बिहार के मधेपुरा के शहर के सड़कों पर इस बाइक को वह चला रहे हैं। इतना ही नहीं किशोर सिंह एक E- car भी बनाना चाहते हैं। जिसकी प्लानिंग वह अभी कर रहे हैं।
बाइक की रफ्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटा
जानकारी के अनुसार किशोर सिंह ने 3000 में यामाहा बाइक एक कबाड़ की दुकान से खरीद कर लाए थे। जिसके बाद उन्होंने काफी मेहनत करके इस बाइक को मॉडिफाई किया। किशोर बताते हैं कि इस बाइक का अगला टायर मोटर युक्त बनाया गया है। जिसमें 32000 की लिथियम बैटरी लगाया गया है। ऐसे में इस 3000 की बाइक पर टोटल 40000 खर्च किया गया है ।
किशोर सिंह ने यह जानकारी दी है कि इसे एक बार फुल चार्ज करने के बाद या 80 किलोमीटर तक चलती है। यह बाइक 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है वैसे शहर में यह 70 किलोमीटर प्रति घंटा तक चलती है। बल्कि हाईवे पर इसकी रफ्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटा है । सेफ्टी की बात करें तो इसमें एक स्टील का बॉक्स भी फिट किया गया है।
आइडिया सुन दोस्तों ने बनाया मजाक
दरअसल स्कूल में बच्चों को साइंस पढ़ाने की नौकरी छोड़ने के बाद किशोर सिंह ने मेन मार्केट में अपनी एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान खोली जिसके बाद उनके मन में ही बाइक बनाने का आईडिया आया विचार को उन्होंने अपने दोस्तों के साथ शेयर किया उनके इस ऑडियो को सुनने के बाद उनके सारे दोष उनका मजाक बनाने और हंसने लगे उसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ई बाइक बनाना जारी रखा।
10 साल पहले बेल्ट बाइक बनाई थी
जानकारी के लिए आपको बता दें किशोर सिंह ने 2 साल पहले एक बेल्ट वाली बाइक बनाई थी हालांकि इस बाइक में कुछ कमी रह गई थी जिसके बाद उन्होंने इसी में चैन वाली बाइक बना दे बाद में इसमें कुछ तकनीकी दिक्कत आने के बाद इसे पूरी तरह से बनाने में वह असफल रहे जिसके बाद तीसरी बार उन्होंने ठाना कि वह ई-बाइक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। जिसके लिए उन्होंने कुछ ऑनलाइन और कुछ सामान दिल्ली से खरीदा।
क्योंकि वह अच्छे से जानते थे कि आने वाला समय E बाइक का ही है। क्योंकि अब लोग महंगा पेट्रोल नहीं चाह रहे हैं। हालांकि भारत में अभी E बाइक और E- car पर बहुत काम बाकी है. अब लोग भी अपनी पुरानी गाड़ी बहुत ही कम कीमत में निकाल रहे हैं। ऐसे में उन्होंने कबाड़ से एक सस्ती पुरानी बाइक खोज निकाली और अपने इस आईडिया से उस बाइक को मॉडिफाई कर बहुत ही अद्भुत कार्य किया है।