हम एक ऐसी दुनिआ में रहते है जहा कब क्या हो जाए कोई नहीं बता सकता. समय का सब खेल है जिसमे कभी किसी की पूरी दुनिआ ख़त्म हो जाती है है तो कभी उसे सारा संसार मिल जाता है. पूजा के जीवन में ये बात लागु होती है जिसने अपने माँ और पिता को खो दिया पर अब उसे साड़ी उम्र प्यार करने वाला एक जीवन साथी मिल गया है.
पूजा और उसका भाई दो भाई बहन थे जो अपने माता-पिता के मृत्यु के बाद अनाथ पद गौए थे तब एक पादरी विक्टर सिंह ने उन्हें अपनाया था. वक्त ऐसे ही बीतता गया और पूजा की अब शादी भी हो गई. उनकी शादी सैनिक देवेंद्र सात फेरो के साथ हुई. इस विवाह में समाज के लोगो ने भी सहयोग दे कर एक बहुत ही अच्छा उदहारण पेश किया है.
जीवन सिंह राणा की कई साल पहले एक लाइलाज बीमारी के चलते नि;धन हो गया था. वे गरुड़ तहसील के सीर, गागरीगोल के रहने वाले थे. विधि का विधान देखिये कुछ वर्ष बाद ही उनकी पत्नी अंजलि भी ये दुनिआ छोड़ कर चली गई. अंजलि के जाने बाद उनके दो मासूम बच्चो का कोई सहारा नहीं बचा. बच्चो से उनके रिश्तेदारों ने भी मुँह मोड़ लिया था. कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं था. उन्ही के इलाके में पादरी विक्टर सिंह ने उन्हें सहारा दिया और खुद की मेहनत से दोनों बच्चो को पाला. इस काम में समाज के लोगो ने भी उनका सहयोग किया.
पूजा का जीवन संघर्ष से भरा रहा था. जैसे तैसे वे और उनके भाई दोनों बड़े हो गए. जब पूजा विवाह योग्य हो गई तब जखेड़ा लमचुला निवासी आनंद सिंह के पुत्र देवेंद्र सिंह ने उनका हाथ थामा. देवेंद्र भारतीय सेना में सैनिक भी है. जैसा की आपको बता चुके है पूजा बहुत गरीब थी. इसीलिए गरुड़ के अग्रणी लोगों ने मानवता दिखते हुए पूजा की शादी करवा दी. हिन्दू रीती रिवाज़ से दोनों की शादी सम्पन हुई. पूजा के कन्यादान की बात करे तो ग्राम प्रधान नीमा अल्मिया ने अपने पति मोहन सिंह अल्मिया के साथ किया.
पूजा के शादी में पादरी विक्टर सिंह का अन्य समाज के सभी लोगो का सराहना की। इस शादी में सबने सहयोग किया और बहुत भावुक दिखाई दिए। क्षेत्र के सभी लोगो ने भी पादरी विक्टर सिंह का भी बहुत सराहना की और कहा अनाथ बच्ची को अपनाकर उसकी जिंदगी बेहतरीन बनाने के लिए विक्टर सिंह का अभिनन्दन भी करते दिखे.