एक समय ऐसा भी था की हर परिवार में जब बच्चा जन्म लेने वाला होता था तब सभी लड़के होने की मनोकामना मांगते थे. बेटी पैदा होती तो उसे बेहद अपशकुन समझा जाता था, पर अब समय पूरी तरह बदल गया है. लड़कियों के जन्म को अच्छा न मानने वाले और कोख में क’त्ल के लिए बदमान एक इलाके से एक अच्छी खबर आयी है.
श्योपुर जिले में जब एक बच्ची ने जन्म लिया तो मानो पुरे परिवार में ख़ुशी की लहार दौड़ पड़ी. परिवार वालो के साथ साथ पूरा गांव जश्न मानाने लगा. ग्वालियर-चंबल में अभी तक बेटी को एक बोझ के रूप में देखा जाता था, खास तौर पर चंबल इलाके के श्योपुर जिले में जहां बेटी की आवाज सुनाई देते ही अधिकांश लोगों के घरों में सन्नाटा छा जाता था.
पर अब इस गांव में सब बदला बदला सा लग रहा है. लोग बेटी को बोझ नहीं बल्कि, अपना स्वाभिमान समझने लगे हैं. लोगो में इतनी ख़ुशी दिखी की वे धूम-धाम से जश्न मनाकर समाज के दूसरे लोगों को संदेश दे रहे हैं कि, बेटी है तो भविष्य है.
बेटी है लष्मी का रूप है
श्योपुर जिले के नागर गांवड़ा गांव में एक दलित परिवार ने बेटी के जन्म खूब जश्न मनाया. इस परिवार से एक दिलचस्प बात छुपी है. इस परिवार में पिछले 80 साल मतलब तीन पीढ़ियों के बाद एक बेटी ने जन्म लिया है. लोग मानो उस बच्ची को लड़की नहीं लक्समी माँ मान रहे है. बहू को अस्पताल से गाजे बाजे के साथ घर लेकर स्वागत किया गया. बच्ची और उसकी माँ का आरती से प्रवेश करवाया गया. साथ ही साथ बच्ची के पैरो के निसान की स्थापना अपने घर में करवाई गई.
आपको बता दे की बच्ची का परिवार इतना प्रश्न है की DJ लगाया गया और उसपर पुरे गाँव के लोग नाच गए रहे थे. इस बेटी के स्वागत को लेकर किए गए इस कार्यक्रम की चर्चा पूरे जिले भर में हो रही हैं. परिवार के मुखिया बताया की “बेटी नहीं लक्ष्मी है, उन्हें बेटे के जन्म पर इतनी खुशी नहीं होती, जितनी बेटी के जन्म पर हुई है क्योंकि, बेटी एक नहीं बल्कि दो परिवारों को जोड़ती है. बेटी के बिना संसार नहीं चल सकता”.