Monday, May 20th, 2024

2005 में चोटी पर तिरंगा फहराने वाले सैनिक का शव मिला, 16 साल तक बर्फ़ में दबा था फौजी

फौजी की जिंदगी भी कमाल की होती है अपने परिवार वालों से कोसों दूर रहकर देश की सेवा में लगे रहते हैं देश की सेवा के लिए वह शहीद होने को भी तैयार रहते हैं। सोचिए अगर उसी सैनिक की मौत की खबर सुनने को मिलती है तो उनके परिवार वालों पर क्या बीती होगी। उनके परिवार वाले उन्हें अंतिम बार देखने के लिए भी तरस जाते हैं।इसी तरह एक फौजी की मौत की दर्दनाक हादसे के बारे में बताएँगे जिनका शव 16 साल बाद बर्फ में मिला।

पर्वतारोही फौजी के साथ दर्दनाक हादसा

16 साल बाद उत्तराखंड के बर्फ में गाजियाबाद के एक शहीद फौजी का शव मिला दरअसल 2005 में पर्वतारोही फौजियों का एकल गंगोत्री हिमालय की सबसे ऊंची चोटी सतोपंथ पर तिरंगा फहरा कर वापस लौट रहा था उसी वक्त लौटने के दौरान रास्ते में उनका संतुलन के बिगड़ने कारण हादसा हो गया था।

जिसमें 4 जवान सैकड़ों फिट खाई में गिर गए थे।। उस वक्त 4 जवान में एक का शव नही  मिला था। जिस जवान का शव नही मिला था उनके परिवार वालों की अंतिम इच्छा थी कि वह अपने शहीद बेटे का अंतिम दर्शन कर ले मगर वह भी पूरा नहीं हो पाया। जवान के माता-पिता की भी अपने बेटे की अंतिम दर्शन का इंतजार करते करते मृत्यु हो गई।

जैसे ही शहीद अमरीश का शव उनके गांव पंहुचा तो गावं के लोगो ने उनका फूलो की वर्षा से स्वागत किया. उनके स्वागत के लिए विधायक अजीतपाल त्यागी भी श्रद्धांजलि देने पहुंच गए थे.

सेना में अमरीश त्यागी की भर्ती 1995-96 में मेरठ में हुई थी। 1999 में होने वाले करगिल युद्ध में उन्हें लेह लद्दाख में तैनात किया गया था. हवाई जहाज से अमरीश ने छलांग लगाने के बाद खूब नाम कमाया था क्युकी वे सबसे ऊंचाई से कूदे थे.

 

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