Tuesday, May 14th, 2024

पिता के साथ बेचा करती थी सब्जी, अब बन गई सिविल जज, 3 बार रही असफल फिर भी करती रही मेहनत, हो गई कामयाब

अगर किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए मन में दृढ़ निश्चय कर लिया जाता है तो उसे हासिल करना असंभव नहीं होता ना की किसी भी मंजिल को पाने के लिए कड़ी मेहनत करना बेहद जरूरी होता है तभी आप अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे कहते हैं मेहनत का फल बहुत मीठा होता है जिसके मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा होता है।उसके लिए कोई भी असुविधा कि रास्ते में रुकावट नहीं बनते वह सारे कठिनाइयों को पार कर अपने लक्ष्य को हासिल कर लेता है।

ऐसे ही आज हम मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की एक बेटी अंकिता नागर की बात कर रहे हैं। जिसके पिता सब्जी बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं उसी पिता की बेटी सिविल जज बन कर अपने परिवार का नाम रोशन कर रही है। अंकिता ने बताया कि सिविल जज के परीक्षा में वह तीन बार असफल हुई उसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से मेहनत कर अपने लक्ष्य को प्राप्त किया आइए जानते हैं अंकिता ने अपने इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया।

अंकिता नागर का परिचय और संघर्ष

मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के मूसाखेड़ी इलाके से ताल्लुक रखती है अंकिता नागर इनके पिता अशोक नागर सब्जी का ठेला लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दे अंकिता को सिविल जज चयन परीक्षा में sc कोटे से चुना गया है। जिसमें उनको पांचवा स्थान प्राप्त हुआ। उनके साथ हुई बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्होंने यह सफलता बहुत ही परिश्रम से हासिल की है।

अंकिता भी अपने माता पिता के साथ सब्जी के दुकान में उनकी मदद करती थी और रात में अंकिता अपने मजबूत हौसला और जनून के साथ पढ़ाई करती थी। अंकिता रोज 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते थे जिससे अधिक परिश्रम और मेहनत से आज उन्होंने चौथे बार में सफलता प्राप्त की। तीन बार असफलता मिलने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी।

बचपन से था जज बनने का सपना

अंकिता बचपन से ही कानून की पढ़ाई करना चाहती थी। पहले उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई कंप्लीट की उसके बाद उन्होंने न्यायाधीश बनने का मन बनाया। तीन बार असफलता के बाद चौथे प्रयास में व्यवहार न्यायधीश वर्ग-दो भर्ती परीक्षा पास की। अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अंकिता ने आर्थिक परेशानियों के साथ साथ बहुत सारी परेशानियों को भी छेला। परंतु उनके माता-पिता और भाइयों ने हमेशा उनका हौसल बढ़ाया। उनका कहना है कि उनके सफलता के लिए परिवार के सदस्यों ने मदद की।यह  सफलता केवल उनके नहीं बल्कि पूरे परिवार के सहयोग और प्रयासों का फल है।

अंकिता नयायाधीश के पद पर सबके साथ करेगी न्याय

29 वर्षीय अंकिता का कहना है कि वह पूरे आत्मविश्वास के साथ न्यायाधीश पद के सारे कर्तव्य को ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाएंगी। व्यवहार न्यायाधीश के पद पर काम शुरू करने के बाद उनका पूरा ध्यान इस बात पर होगा कि उनके अदालत में आने वाले हर एक व्यक्ति को इंसाफ मिले किसी के साथ अन्याय ना हो।

अपनी बेटी के इस सफलता को देखने के बाद अंकिता के पिता अशोक नागर गर्व से अपना सीना चौड़ा करके कहते हैं कि “मेरी बेटी समाज परिवार रिश्तेदार और असफल होने के बाद अपने लक्ष्य से विचलित होने वाले छात्रों के लिए एक मिसाल पेश की है।।मेरी बेटी ने इस सफलता को पूरा करने के लिए दिन-रात संघर्ष किया है और जो उसने सोचा वह कर दिखाया समाज में बेटी को बोझ कहने वालों के लिए यह सबसे अच्छा उदाहरण है अंत में उन्होंने कहा कि बेटियां बोझ नहीं सिर का ताज होती है”

 

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