Thursday, May 16th, 2024

चाय की दुकान पर काम करने वाला गरीब छोटू बना IAS ऑफिसर, 70 किलोमीटर का सफर कर के गया था स्कूल

सिविल सर्विसेज की परीक्षा को क्रैक करना हर एक स्टूडेंट का सपना होता है।  परंतु यह सबसे कठिन परीक्षा में से एक मानी जाती है। जिसे पास करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। कोई इसे अपनी फाइनेंसियल प्रॉब्लम के वजह से पास नहीं कर पाता तो कोई मेंटली प्रिपेयर ना होने के वजह से। यूपीएससी की परीक्षा को पास करने के लिए यह दोनों ही बहुत मजबूत होना जरूरी होता है। इसकी तैयारी करने के लिए खुद को इस में झोकना पड़ता है

परिवार का सपोर्ट भी इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। आपने यूपीएससी स्टूडेंट की अलग-अलग कहानी सुनी होगी। जिससे हर कोई मोटिवेट होते रहते हैं।उनके जीवन के संघर्ष हर किसी को इंस्पायर करता है। इसी तरह एक छात्र की कहानी आज आपको बताएंगे जिसने बहुत ही कठिनाइयों को पार कर आज यूपीएससी की परीक्षा क्रेक की है।

70 किलोमीटर दूर जाकर स्कूल में पढ़ाई की

हम बात कर रहे हैं आईएस हिमांशु गुप्ता ( IAS Himanshu Gupta ) के बारे में जिन्होंने रोज 70 किलोमीटर का सफर तय कर स्कूल में जाकर अपनी पढ़ाई पूरी की इतनी कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए अंत तक डटे रहे और अंत में सफलता हासिल की।  जानकारी के लिए आपको बता दें आईएस हिमांशु गुप्ता उत्तराखंड राज्य से ताल्लुक रखते हैं। इनके बचपन का जीवन बहुत ही कठिनाइयों से भरा था। उनके पिताजी घर चलाने के लिए मजदूरी करते थे। लेकिन पैसों की तंगी इतनी थी कि पिताजी की मजदूरी भी कम पड़ जाती थी। इसे दूर करने के लिए वह चाय की दुकान में काम करने लगे। इतनी कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने हार नहीं माना और कुछ अलग करने के जज्बे के लिए उन्होंने एक लक्ष्य लिया आईएएस ऑफिसर बनने का।

स्कूल छोड़ की यूपीएससी की तैयारी

हिमांशु ने यूपीएससी की परीक्षा पास करने का सपना तो देख लिया। यह उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी घर की स्थिति इतनी खराब थी कि वह इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त करते यह उनके लिए चुनौती बन गया। लेकिन अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने कई सालों तक अपना स्कूल छोड़ने का फैसला किया केवल यूपीएससी की परीक्षा में सफल होने के लिए वह पढ़ाई करने लगे। उन्होंने खुद को इसमें पूरी तरह झोंक दिया।

उनके जगह कोई और होता तो घर की परिस्थिति को देख वह सपना छोड़कर परिवार की मदद करता परंतु उन्होंने अपने कदम पीछे नहीं हटाए। इसमें उनके परिवार वालों का भी काफी सपोर्ट मिला। उनके पापा मजदूरी करते थे। लेकिन वह हमेशा चाहते थे उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें।इस वजह से उन्होंने हिमांशु को भी अपने लक्ष्य के लिए छोड़ दिया और उनका साथ दिया।

लोग चाय वाला कहकर उड़ाते थे मजाक

घरवालों के मदद के लिए हिमांशु चाय की दुकान में काम करते थे चाय के दुकान में काम करने वाले बात दोस्तों को पता ना चले इसलिए जब भी हिमांशु के दोस्त चाय वाले के ठेले के पास आते थे तो वह कहीं पर छिप जाते थे। लेकिन एक बार हिमांशु को किसी ने वहां काम करते हुए देख लिया था। जिसके बाद सभी उन्हें चायवाला कह कर पुकारने लगे और उनका मजाक बनाने लगे। इसके बावजूद हिमांशु ने उनके बातों पर ध्यान ना दिया और अपने पढ़ाई पर फोकस किया और आज अपनी लगन और मेहनत के दम पर वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर चुके हैं।

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