Monday, May 20th, 2024

जानिए कैसे केवल 5 रुपए की नमकीन के पैकेट से एक कंपनी खड़ी हुई जिसकी सालाना कमाई 850 करोड़ रूपये है

आज हम ऐसे क्षेत्रीय नमकीन ब्रांड के बारे में बताएंगे जो की बहुत ही कम समय में मार्केट में अपना एक जगह बना चुका है। इस ब्रांड के बारे में कई लोगों ने अभी तक नहीं सुना होगा। नमकीन हमारा सबसे फेवरेट स्नेक है जो लगभग हर परिवार में सुबह और शाम में नाश्ते में चाय के साथ दिया जाता है तो आइए आज विस्तारपूर्वक ऐसे ही एक और नमकीन ब्रांड के बारे में जानते हैं की कैसे इसकी शुरुआत हुई और इसका टर्नओवर कितना है।

इस कंपनी की शुरुआत कब हुई

साल 2003 में  जिसमे अमित कुमार और अपूर्व कुमार ने अपने दोस्त अरविंद मेहता के साथ मिलकर इस कंपनी की शुरुआत की। देशभर में इनके चार कारखाना है इसके साथ 24 राज्यों में 168 स्टोर House और 2900 वितरकों का एक बहुत बड़ा नेटवर्क बन चुका है।

इंदौर में  स्थित स्नैक फूड कंपनी प्रताप नमकीन जब अपनी नमकीन के रिंग बनाते थे तो उन्हें यह पता नहीं था कि आने वाले दिनों में वह इस सेगमेंट के सबसे नामी कंपनियों में से एक होंगे।

कई सारी कठिनाइयों का सामना

शुरुआत में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा, एक स्नैक्स कंपनी में 10 साल काम करने के बाद साल 2001 में अमित ने कारोबारी करने का फैसला लिया जिसमें उन्होंने केमिकल मैन्युफैक्चरिंग का व्यवसाय शुरू किया इस कारोबार के शुरू होने के एक साल के अंदर ही कंपनी के ऊपर 6 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया इसके बाद उन्होंने इस कारोबार को बंद करने का फैसला लिया।

शुरुआत में हुए असफलता के वजह से उन्हें काफी धक्का लगा इसमें उनकी सारी बचत पूंजी भी चली गई और इंदौर में अपने व्यापारी साथियों के बीच उनका सम्मान भी चला गया, फिर किसी तरह अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से उधार लेकर जितने भी कर्जदार थे उनका कर्ज चुकाया।

कारोबार में हुए असफलताओं और कठिनाइयों के बावजूद वह खुद का बिजनेस शुरू करने के सपने को छोड़ना नहीं चाह रहे थे और फिर बाद में उनको  इसमें सफलता भी मिली

नमकीन के व्यापार की शुरुआत

साल 2002 में अमित ने अपने भाई अपूर्व और अपने मित्र अरविंद से इंदौर में नमकीन का व्यापार शुरू करने का विचार उनके समक्ष रखा जिसके बाद तीनों ने अपने परिवार वालों पर काफी दबाव बनाकर 15 करोड़  रुपए इकट्ठा किया उसके बाद प्रताप स्नैक्स के नाम से इस कंपनी की नींव रखी.

शुरुआत में उन्होंने एक स्थानीय खाद्य प्रसंस्करण और विनिर्माण संयंत्र में रिंग स्नैक्स  के कुल 20,000 बॉक्स का ऑर्डर दिया पहले वह अपने उत्पादन को स्थानीय निर्माताओं से ही खरीदना स्टार्ट किए कम पूंजी के कारण उनके पास कुछ सीमित उपकरण ही थे पर सयंत्र लगाने के लिए कोई पर्याप्त बेहतर जगह भी नहीं थी.

इसके बावजूद कंपनी ने पहले साल ही कुल 22 लाख रुपए बनाए और फिर दूसरे साल कंपनी की कमाई 1 करोड़ तक पहुंच गया और तीसरे साल  सात करोड़ का टर्नओवर रहा।

मैंन्यूफैक्चरिंग प्लांट की शुरुआत

 साल 2011 में कंपनी का खुद का एक मैंन्यूफैक्चरिंग प्लांट खुला जिसमें येलो डायमंड नाम से एक ब्रांड का शुरुआत किया गया और टर्न ओवर डेढ़ सौ करोड़ के पार पहुंच गया। आज के समय में यह काफी फेमस ब्रांड हो चुका है फिर धीरे-धीरे साल दर साल फूड मार्केट मैं कंपनी का शेयर बढ़ता गया साल 2010 से 2015 तक कंपनी की हिस्सेदारी 1% से बढ़कर 4% हो गए.

अमित अपने आने वाले समय में देश के स्नैक्स मार्केट में कम से कम 10% हिस्सेदारी चाहते हैं इस हिस्सेदारी को पाने के लिए पूरी टीम के साथ अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता पर भी ध्यान देख रहे हैं।  छोटे से शहर के होने के बावजूद वह अभी काफी बड़े कंपटीशन में काम कर रहे हैं मुझे उनकी कड़ी मेहनत और जज्बे का ही परिणाम है उन्हें सफलता पहुंचाई है।

 

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