Monday, April 29th, 2024

ये डाकिया हर दिन 15 KM रेलवे ट्रैक पे चल कर पहुंचते थे चिट्ठी , लोग कर रहे भारत रत्न दिलवाने की मांग

आज हम जानेंगे एक ऐसे शख्स के बारे में जो अपने डाकिया कि नौकरी के पूरे कार्यकाल के दौरान रोजाना जंगलों के सफर को तय कर 15 किलोमीटर पैदल चलकर लोगों तक उनके पत्र पहुंचाएं हैं, वह भी पूरी मेहनत और ईमानदारी के साथ।

 डी. सीवन (डाकिया) का परिचय

डी. सीवन तमिलनाडु राज्य के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं, तमिलनाडु राज्य में वह एक डाकिया के पद पर नियुक्त थे।

अपने कार्यकाल के दौरान मेहनती होने के साथ-साथ वह काफी ईमानदार और जिम्मेदार भी थे। वह अपनी नौकरी को पूरी जिम्मेदारी और इमानदारी के साथ निभाते थे।

डी.सीवन के 15 किलोमीटर का सफर

रोजाना 15 किलोमीटर का सफर तय कर डी.सीवन लोगों तक उनका पत्र पहुंचाते थे। जहां पर उनकी पोस्टिंग हुई थी वह  एक ऐसी जगह थी जहां का रास्ता सिर्फ जंगलों और पहाड़ों से भरा हुआ था।

उस जंगल के रास्तों में जंगली जानवरों का भी सामना कई बार हुआ लेकिन वह बिना डरे अपने निडरता दिखाकर और अपने  साहस पर आगे बढ़े और अपने कर्तव्य को पूरा किया।

वह अपनी नौकरी के पूरे कार्यकाल तक इसी तरह रोजाना जंगलों का सफर तय कर संदेश पहुंचाते थे। नौकरी के प्रति उनकी यह जिम्मेदारी काफी सराहनीय है।

डि.सीवन

डी.सीवन को भारत रत्न देने की मांग

कि उनकी प्रशंसा सब जगह पर हो रही है यह कैसे उन्होंने उस पहाड़ी और जंगली रास्ता को लेकर लोगों तक उनके पत्र पहुंचाए।

सोशल मीडिया के माध्यम से लोग सरकार तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं जिसमें उनके लिए भारत रत्न या पदम श्री जैसे पुरस्कार की मांग कर रहे।

 

इसी तरह एक आईएएस ऑफिसर सुप्रिया साहू अपने एक पोस्ट में लिखती है “डी सीवन रोजाना 15 किलोमीटर चलकर उस घने जंगलों में कुनूर और भालू जैसे जानवरों का सामना करते हुए लोगों तक उनका पत्र पहुंचाते थे, जिसमें उन्हें फिसलन भरी रास्तों,  झरना और सुरंगों को भी पार करना पड़ता था!  30 वर्षों से वह इसी तरह काम करते थे अब वह रिटायर हो चुके है”

इसी तरह एक और शख्स के कुमार ने लिखा है “2018 मेंं उनका इंटरव्यू लिया था! सीवन को भारत रत्न या पदम श्री पुरस्कार से तो नवाजा जाना चाहिए”।

 

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